अपने भक्त की आँख में आंसू,
देख ना पाते है,
कन्हैया दौड़े आते है,
श्याम मेरे दौड़े आते है,
दौड़े आते है,
श्याम मेरे दौड़े आते है,
कन्हैया दौड़े आते है,
श्याम मेरे दौड़े आते है।।
तर्ज – आज मेरे यार की शादी।
जहा में शोर ऐसा,
नहीं कोई श्याम जैसा,
जहा के मालिक है ये,
सबो से वाकिफ है ये,
धर्म पताका निज हाथो से,
प्रभु फहराते है,
कन्हैया दौड़े आते है,
श्याम मेरे दौड़े आते है।।
गए जो भूल इनको,
धीर नहीं उनके मन को,
तिजोरी लाख भरी हो,
मोटरे महल खड़ी हो,
हीरे मोती से मेरे भगवन,
नहीं ललचाते है,
कन्हैया दौड़े आते है,
श्याम मेरे दौड़े आते है।।
याद कर गज की गाथा,
पार्थ के रथ को हांका,
दीन पांचाली हारी,
बढ़ा दी उसकी साड़ी,
ध्रुव नरसी प्रहलाद और मीरा,
टेर लगाते है,
कन्हैया दौड़े आते है,
श्याम मेरे दौड़े आते है।।
प्रभु से मिलना चाहो,
प्रेम से हरी गुण गाओ,
बनो श्री श्याम दीवाना,
प्रेम प्रभु का जो पाना,
‘नंदू’ भगवन भक्त के सारे,
काम पटाते है,
कन्हैया दौड़े आते है,
श्याम मेरे दौड़े आते है।।
अपने भक्त की आँख में आंसू,
देख ना पाते है ,
कन्हैया दौड़े आते है,
श्याम मेरे दौड़े आते है,
दौड़े आते है,
श्याम मेरे दौड़े आते है,
कन्हैया दौड़े आते है,
श्याम मेरे दौड़े आते है।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।
प्रेषक – नवल शर्मा।
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