श्याम ने है सब कुछ दिया,
अब तो मांगू यही,
खाटू धाम रहते श्याम,
मेरा घर हो वही।।
तर्ज – बस यही लिख में माँ लिख दे।
खाटू नगर की माटी लगती,
केसरिया चन्दन,
माथे पे लगाऊ,
बाबा की टहरी पे विराजे,
है केसरी नंदन,
मैं ढोक लगाऊ,
खिली खिली श्याम बगीची,
जहाँ आलूसिंह जी,
है श्याम कुंड में पावन,
जल धारा बहती,
मुझे श्याम ने हैं सबकुछ दिया,
अब तो मांगू यही,
खाटू धाम रहते श्याम,
मेरा घर हो वही।।
घर के दरवाजे पर विराजे,
गौरी पुत्र गणेश,
मिटे क्लेश हमारा,
आँगन में तुलसी के संग हो,
शालिग्राम विशेष,
मिटे द्वेष हमारा,
जब जब होवे आरती,
मैं मंदिर जाऊ,
श्याम की मोरछडी का,
झाड़ा लगवाऊ,
मुझे श्याम ने हैं सबकुछ दिया,
अब तो मांगू यही,
खाटू धाम रहते श्याम,
मेरा घर हो वही।।
फागण के मेले में करूँगा,
भक्तो की सेवा,
होगा करम सफल,
खुश होकर साँवरिया देगा,
किरपा का मेवा,
होगा जनम सफल,
मिले श्याम चरण की छैया,
रहूँ मस्त मलंग,
मेरे तन मन चढ़ जाएगा,
बाबा का रंग,
मुझे श्याम ने हैं सबकुछ दिया,
अब तो मांगू यही,
खाटू धाम रहते श्याम,
मेरा घर हो वही।।
श्याम प्रेमियों से ग्यारस को,
कल्बहियाँ डाले,
हो मिलन सुहाना,
‘चोखानी’ तू सांवरिया को,
अपना मीत बना ले,
बने श्याम दीवाना,
ले भजनों का गुलदस्ता,
प्यारे तू चलना,
जिसे खाटू रास आ जाए,
पड़े हाथ ना मलना,
मुझे श्याम ने हैं सबकुछ दिया,
अब तो मांगू यही,
खाटू धाम रहते श्याम,
मेरा घर हो वही।।
श्याम ने है सब कुछ दिया,
अब तो मांगू यही,
खाटू धाम रहते श्याम,
मेरा घर हो वही।।
स्वर – ललित सूरी जी।
लेखक – प्रमोद जी चोखानी।