श्याम सा दानी जगत में,
और दूजा है नहीं,
और दूजा है नहीं रै,
और दूजा है नहीं,
मांग लो मेरे यार श्याम से,
ये कभी नटता नहीं।।
बैठा है दरबार लगा के,
आजमा के देख लो,
हार के जो भी आ जाए,
खाली वो जाता नही,
श्याम सा दानी जगत मे,
और दूजा है नहीं।।
सबको एक तराजू से तोले,
खाटू वाला साँवरा,
सब है नजरो में बराबर,
फर्क ये करता नही,
श्यामसा दानी जगत मे,
और दूजा है नहीं।।
सेठ साँवरा बाँट रहा है,
चाहे जितना लूट लो,
देने पर जब ये आ जाये,
कंजूसी करता नही,
श्याम सा दानी जगत मे,
और दूजा है नहीं।।
अपना सब कुछ देने वाला,
ना कभी इनकार करे,
दीनू इन्दोरिया लखदातारी,
और दूजा है नही,
श्याम सा दानी जगत मे,
और दूजा है नहीं।।
श्याम सा दानी जगत में,
और दूजा है नहीं,
और दूजा है नहीं रै,
और दूजा है नहीं,
मांग लो मेरे यार श्याम से,
ये कभी नटता नहीं।।
गायक / प्रेषक – दीनू इन्दोरिया।
सूरजगढ़ दरबार। 9887045766