श्याम का सुमिरण अपने मन में,
श्रद्धा से एक बार करो,
श्याम सा दानी कोई नहीं है,
सोचो थोड़ा विचार करो,
श्याम का सुमिरण अपने मन में,
श्रद्धा से एक बार करो।।
बर्बरीक चलने लगे घर से,
युद्ध की इच्छा साथ लिए,
तरकश में सजे तीन बाण फिर,
माता को प्रणाम किये,
बर्बरीक ने माँ का वचन माना,
चले वचन निभाने को,
हारे का बस साथ है देना,
बैठे लीले जाने को,
रस्ते में एक ब्राह्मण मिल गए,
बोले कुछ उपकार करो,
श्याम सा दानी कोई नही है,
सोचो थोड़ा विचार करो,
श्याम का सुमिरण अपने मन में,
श्रद्धा से एक बार करो।।
ब्राह्मण रूप में नारायण थे,
सारी बात वो जानते थे,
गर युद्ध में ये पहुँच गए तो,
कुछ ना बचेगा मानते थे,
महाभारत के युद्ध में कौरव,
पांडव का संग्राम जो है,
कौरव ही हारेंगे क्यूंकि,
पांडव संग श्री श्याम जो हैं,
लीलाधर की लीला न्यारी,
माँगा शीश का दान करो,
श्याम सा दानी कोई नही है,
सोचो थोड़ा विचार करो,
श्याम का सुमिरण अपने मन में,
श्रद्धा से एक बार करो।।
बर्बरीक जी समझ गए कहा,
कौन हो मुझे बताओ तुम,
शीश दान तो ले लो अपना,
असली रूप दिखाओ तुम,
फिर नारायण ने दिए दर्शन,
बर्बरीक ने नमन किया,
युद्ध देखने की है इच्छा,
ऐसा मुख से वचन कहा,
शीश को काटा कृष्ण से बोले,
दान मेरा स्वीकार करो,
श्याम सा दानी कोई नही है,
सोचो थोड़ा विचार करो,
श्याम का सुमिरण अपने मन में,
श्रद्धा से एक बार करो।।
नारायण ने शीश लिया,
ऊँचे पर्वत पर टिका दिया,
सारा युद्ध देखोगे उनकी,
इच्छा का भी मान किया,
मेरे नाम से दुनिया पूजेगी,
ऐसा वरदान दिया,
बर्बरीक फिर श्याम हो गए,
नारायण ने नाम दिया,
मेरे श्याम ने अपना नाम दिया,
कलयुग में नहीं श्याम सा कोई,
श्याम नाम से प्यार करो,
श्याम सा दानी कोई नही है,
सोचो थोड़ा विचार करो,
श्याम का सुमिरण अपने मन में,
श्रद्धा से एक बार करो।।
श्याम का सुमिरण अपने मन में,
श्रद्धा से एक बार करो,
श्याम सा दानी कोई नहीं है,
सोचो थोड़ा विचार करो,
श्याम का सुमिरण अपने मन में,
श्रद्धा से एक बार करो।।
Singer – Babita Goswami