श्याम श्याम या बोलै दुनिया सारी रै,
खाटू आले श्याम की महिमा न्यारी रै,
हंस कै तनै शीश दान मैं दिया था,
श्री कृष्ण जी नै करी बडाई थारी रै।।
तर्ज – देशी-देशी ना बोल्या कर।
मनै भगतां गैल्यां खाटू जा कै देख्या,
दरबार लगा कै सेठ साँवरिया बैठया सै,
जो हार के आवै खाटू मैं इस दुनिया तै,
मेरा श्याम धणी यो उसनै गले लगाले सै,
दरबार मैं आकै अंधा भी न्यू कैण लगै,
मेरी आंख्या मैं बसगी सूरत प्यारी रै।।
अपणे भगतां का बाबा साथ निभावै सै,
लीले पै चढ़के बाबा पल मैं आवै सै,
जो सच्चे मन तै ध्यान धरै मेरे बाबा का,
फेर मन चाहा फल वो बाबा तै पावै सै,
एक बै जा कै देख लियो थम खाटू मैं,
फेर मनोकामना पूर्ण होवै थारी रै।।
या दुनिया मारै बोली बाबा मेरे पै,
पर मनै भरोसा श्याम धणी सै तेरे पै,
तेरे दर्शन खातर हर ग्यारस मैं खाटू आऊँ,
बस इसी मेहर तू करदे बाबा मेरे पै,
बोली बंद करा दे तू बाबा दुनिया की,
इब दिखला दे नै श्याम धणी दातारी रै।।
मैं खाटू धाम की माटी नै माथे कै लाऊँ,
फेर भगतां गैल्यां श्याम धणी तेरे दर्शन पाऊँ,
विश्वास मनै सै मेरी किस्मत जागैगी,
झूम-झूम कै श्याम धणी मैं तनै रिझाऊँ,
तेरी कृपा तै भजन ‘मुकेश’ बणावै सै,
‘योगेश वत्स’ भी गावै महिमा थारी रै।।
श्याम श्याम या बोलै दुनिया सारी रै,
खाटू आले श्याम की महिमा न्यारी रै,
हंस कै तनै शीश दान मैं दिया था,
श्री कृष्ण जी नै करी बडाई थारी रै।।
लेखक – श्री मुकेश भारद्वाज जी रोहतक।
गायक – मास्टर योगेश वत्स रोहतक।
भजन प्रेषक – प्रदीप सिंघल (जीन्द वाले)