श्याम सूरत है कितनी भली,
देखने सारी दुनिया चली,
चली चली चली चली खाटू चली,
चली चली चली चली खाटू चली,
श्याम सूरत हैं कितनी भली,
देखने सारी दुनिया चली।।
तर्ज – खली बली (कव्वाली)।
बड़ी दूर से चलके सेवक हैं आते,
राहों में जयकारे तेरे लगाते,
कोई तेरी महिमा को गाकर बखाने,
कोई नाच कर तुझे लगे रे रिझाने,
कोई ग्यारस ना हमसे टली,
देखने सारी दुनिया चली,
चली चली चली चली खाटू चली,
चली चली चली चली खाटू चली,
श्याम सूरत हैं कितनी भली,
देखने सारी दुनिया चली।।
राहों में मुश्किल तू आने नहीं दे,
जिसे चाहिए जो उसको वही दे,
लेके चले झंडा तेरे नाम का रे,
निगाहों में है ख्वाब तेरे धाम का रे,
दिख रही है रे खाटू की गली,
देखने सारी दुनिया चली,
चली चली चली चली खाटू चली,
चली चली चली चली खाटू चली,
श्याम सूरत हैं कितनी भली,
देखने सारी दुनिया चली।।
लेके दरस आस हम सारे आए,
हार ताज़ा फूलों का इत्तर भी है लाए,
कोई बेखबर आया तेरी शरण में,
‘बागड़ा’ भजन लाया तेरे चरण में,
कोई लाया है मिश्री की डली,
देखने सारी दुनिया चली,
चली चली चली चली खाटू चली,
चली चली चली चली खाटू चली,
श्याम सूरत हैं कितनी भली,
देखने सारी दुनिया चली।।
श्याम सूरत है कितनी भली,
देखने सारी दुनिया चली,
चली चली चली चली खाटू चली,
चली चली चली चली खाटू चली,
श्याम सूरत हैं कितनी भली,
देखने सारी दुनिया चली।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।