श्याम तेरे ही भरोसे मेरा परिवार है,
तू ही मेरी नाव का माझी,
तू ही पतवार है,
श्याम तेरे ही भरोंसे मेरा परिवार है।।
तर्ज – थोड़ा सा प्यार हुआ है।
हो अगर अच्छा माझी,
नाव फिर पार होती,
किसी की बीच भवर में,
फिर न दरकार होती,
अब तो तेरे ही हवाले,
मेरा घरबार है,
श्याम तेरे ही भरोंसे मेरा परिवार है।।
मैंने अब छोड़ी चिंता,
तेरा जो साथ पाया,
तुमको जब भी पुकारा,
अपने ही पास पाया,
मुझपे अहसान तेरा,
कान्हा बेशुमार है,
श्याम तेरे ही भरोंसे मेरा परिवार है।।
मुझको अपनों से बढ़कर,
सहारा तूने दिया,
जिंदगी भर जीने का,
गुजारा तुमने दिया,
कहता ‘पवन’ की तेरा,
बड़ा उपकार है,
श्याम तेरे ही भरोंसे मेरा परिवार है।।
श्याम तेरे ही भरोसे मेरा परिवार है,
तू ही मेरी नाव का माझी,
तू ही पतवार है,
श्याम तेरे ही भरोंसे मेरा परिवार है।।
गायक – हरी शर्मा जी।
प्रेषक – भास्कर शर्मा।
7300408834
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