श्यामा तेरी बांसुरिया ने,
मेरे मन को मोह लिया,
मन को मोह लिया रे,
मेरे मन को मोह लिया,
श्यामा तेरी बंसुरिया ने,
मेरे मन को मोह लिया।।
सांवली सूरत मोहनी मूरत,
मुख मोहिनी मुस्कान,
मोर मुकुट सिर पर है साजे,
मुरलीधर है नाम,
श्यामा तेरी बंसुरिया ने,
मेरे मन को मोह लिया।।
जब जब तू बांसुरी बजाय,
मन मेरा घबराए,
तान सुरीली कान में गूंजे,
सुध बुध रह ना पाए,
श्यामा तेरी बंसुरिया ने,
मेरे मन को मोह लिया।।
बैरन बन गई तेरी बंसुरिया,
तुझ बिन रहा न जाए,
कैसा जादू डाला ‘शिव’ पर,
मनवा चैन ना पाए,
श्यामा तेरी बंसुरिया ने,
मेरे मन को मोह लिया।।
श्यामा तेरी बांसुरिया ने,
मेरे मन को मोह लिया,
मन को मोह लिया रे,
मेरे मन को मोह लिया,
श्यामा तेरी बंसुरिया ने,
मेरे मन को मोह लिया।।
गायक – राजीव तोमर जी।
लेखक / प्रेषक – शिवनारायण जी वर्मा।
7987402880