श्याम तेरी तस्वीर,
सिरहाने रख कर सोते है,
यही सोच कर अपने दोनो,
नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे,
कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे।।
जाने कब आ जाए,
हम आँगन रोज बुहारे,
मेरे इस छोटे से घर का,
कोना कोना सवारे,
जिस दिन नहीं आते हो,
हम जी भर कर रोते है,
यही सोच कर अपने दोनो,
नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे,
कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे।।
नन्हे नन्हे हाथों से,
आकर मुझे हिलाएगा,
फिर भी नींद ना टूटे तो,
मुरली मधुर बजाएगा,
जाने कब आजाये,
हम रुक रुक कर रोते है,
यही सोच कर अपने दोनो,
नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे,
कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे।।
अपनापन हो अखियों में,
होठो पे मुस्कान हो,
ऐसे मिलना जैसे की,
जन्मो की पहचान हो,
इसके खातिर अँखियाँ,
मसल मसल कर रोते हैं,
यही सोच कर अपने दोनो,
नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे,
कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे।।
कभी कभी घबराए क्या,
हम इस के हकदार है,
जितना मुझको प्यार है,
क्या तुमको भी प्यार है,
यही सोच के करवट,
बदल बदल कर रोते है,
यही सोच कर अपने दोनो,
नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे,
कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे।।
इक दिन ऐसी नींद खुले,
जब तेरा दीदार हो,
बनवारी फिर हो जाए,
यह अँखियाँ बेकार हो,
बस इस दिन के खातिर,
हम तो दिनभर रोते है,
यही सोच कर अपने दोनो,
नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे,
कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे।।
श्याम तेरी तस्वीर,
सिरहाने रख कर सोते हैं
यही सोच कर अपने दोनो,
नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे,
कभी तो मेरे श्याम पिघलोगे।।
Singer – Shubham Rupam