श्याम थारी चौखट पे,
आया हूँ मैं हार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के।।
तर्ज – छूप गया कोई रे दूर से पुकार के।
हार्योड़ा को साथी थाने,
दुनिया बतावे है,
देख ल्यो अठी ने कानी,
लाज म्हारी जावे है,
कद्स्यु खड़यो हूँ बाबा,
कद्स्यु खड़यो हूँ बाबा,
हाथ पसार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के।।
थक सो गयो हूँ बाबा,
जग के झमेले में,
जियो घबरावे म्हारो,
सोच के अकेले में,
कालजे लगा लो इब थे,
कालजे लगा लो इब थे,
अवगुण विसार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के।।
सुख में तो जग यो सारो,
साथ निभावे है,
पण दुखड़े में कोई,
नीडे नही आवे है,
डगमग है नैया भारी,
डगमग है नैया म्हारी,
बिना पतवार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के।।
थारो साथ पा के मैं भी,
जीनो सिख जाऊंगा,
थे भी ठुकरा द्योगा तो,
जी नहीं पाऊंगा,
हार के आयो है ‘बिन्नू’,
हार के आयो है ‘बिन्नू’,
द्वारे सरकार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के।।
श्याम थारी चौखट पे,
आया हूँ मैं हार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के,
लायक बना ल्यो म्हाने,
थारे दरबार के।।
स्वर – संजय मित्तल जी।
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