श्यामा श्यामा रटते रटते,
बीती रे उमरिया,
तेरे दरश की मीरा बावरी,
तेरे दरश की मीरा बावरी,
फिरती डगर डगरिया,
श्यामा श्यामा रटतें रटतें,
बीती रे उमरिया।।
खान पान सब वैभव छोड़ा,
मोहन तेरी याद में,
बन गई तेरे नाम की जोगन,
ले एकतारा हाथ में,
श्याम नाम की सारे जग में,
श्याम नाम की सारे जग में,
फैलाई लहरिया,
श्यामा श्यामा रटतें रटतें,
बीती रे उमरिया।।
ऐसी प्रेम दीवानी मीरा,
लोक लाज सब भूल गई,
राणा की सारी चालाकी,
इक इक सब बैकार हुई,
जो कुछ पाया प्रभु को सौंपा,
जो कुछ पाया प्रभु को सौंपा,
लेलीनी खबरिया,
श्यामा श्यामा रटतें रटतें,
बीती रे उमरिया।।
सब कुछ अर्पण करके मानव,
जब शरण में आ जाए,
सुख दुःख उसके जितने भी है,
परमेश्वर के हो जाए,
फिर भी अपना मैं ना छूटे,
फिर भी अपना मैं ना छूटे,
श्यामा श्यामा रटतें रटतें,
बीती रे उमरिया।।
सबसे सीधा सरल तरीका,
मीरा ने सिखलाया है,
जग की माया में भटका मन,
कुछ भी समझ ना पाया है,
‘मित्र मंडल’ थारी आस में बैठ्यो,
‘मित्र मंडल’ थारी आस में बैठ्यो,
श्यामा श्यामा रटतें रटतें,
बीती रे उमरिया।।
श्यामा श्यामा रटते रटते,
बीती रे उमरिया,
तेरे दरश की मीरा बावरी,
तेरे दरश की मीरा बावरी,
फिरती डगर डगरिया,
श्यामा श्यामा रटतें रटतें,
बीती रे उमरिया।।
गायक – राज राठौर।