सीता मैया ने मुझको बताया,
मैं नहाकर सिंदुर लगाया।
दोहा – बजरंगबली को सुमरिये,
और धरीये चित्त में ध्यान,
संकट में रक्षा करें,
बाबा वीर बली हनुमान।
सीता मैया ने मुझको बताया,
मैं नहाकर सिंदुर लगाया,
हो मेरी मैया ने मुझको बताया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया।।
मेरे स्वामी की उम्र बढ़ाता सिंदुर,
मेरे स्वामी की उम्र बढ़ाता सिंदुर,
माँ ने माथे पर इसको लगाया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया,
हो मेरी मैया ने मुझको बताया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया।।
रूप देख लिया राम मुस्काने लगे,
रूप देख लिया राम मुस्काने लगे,
हो मुझे तेरा यह रूप लुभाया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया,
हो मेरी मैया ने मुझको बताया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया।।
भक्त नहीं होगा बजरंग तुमसे बड़ा,
भक्त नहीं होगा बजरंग तुमसे बड़ा,
सदा राम जी की है छतरछाया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया,
हो मेरी मैया ने मुझको बताया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया।।
हनुमान फिर झुमकर नाचन लगे,
हनुमान फिर झुमकर नाचन लगे,
हो मैंने आज प्रभु को रिझाया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया,
हो मेरी मैया ने मुझको बताया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया।।
जो चढ़ाएं सिंदूर बालाजी तुम्हें,
जो चढ़ाएं सिंदूर बालाजी तुम्हें,
वहीं मौज करें सुख पाया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया,
हो मेरी मैया ने मुझको बताया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया।।
सीता मैया ने मुझकों बताया,
मैं नहाकर सिंदुर लगाया,
हो मेरी मैया ने मुझको बताया,
मैं नहा के सिंदूर लगाया।।
गायक – भगवत सुथार।
प्रेषक – लोकेश गाडरी खेमाणा।