सोचो न हरि को भजलो,
भजना है अभी से भजलो,
श्री राधे कृष्णा को भजलो।।
तर्ज – समझोता ग़मो से करलो।
रात गई सुबहा आएगी,
जिँदगी ये गई तो,
फिर न आएगी,
मन मानी क्यो करता,
ओ मूरख अज्ञानी,हो,
सोचों न हरि को भजलो,
भजना है अभी से भजलो,
श्री राधे कृष्णा को भजलो।।
जागो प्राणी समय ये जाए,
ऐसा मौका कभी ना आए,
ग्रँथो की बाणी को,
मान ले अब तो प्राणी,हो,
सोचों न हरि को भजलो,
भजना है अभी से भजलो,
श्री राधे कृष्णा को भजलो।।
नाम जपीँ देखो बाई मीराँ,
पार उतर गए दास कबीरा,
जिसने राधेश्याम जपा,
शरण प्रभू की पाई,हो,
सोचों न हरि को भजलो,
भजना है अभी से भजलो,
श्री राधे कृष्णा को भजलो।।
सोचो न हरि को भजलो,
भजना है अभी से भजलो,
श्री राधे कृष्णा को भजलो।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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