गंवाया नींद को उसके लिए,
जो ना जरुरी है,
अरे सोना से भी ज्यादा,
तुझे सोना जरुरी है।।
तर्ज – अगर दिलबर की रुस्वाई।
सुख में क्यों भूलते है लोग,
सुख उसको दिया जिसने,
याद आए प्रभु जीवन में,
याद आए प्रभु जीवन में,
दुःख भी होना जरुरी है।
अरे सोना से भीं ज्यादा,
तुझे सोना जरुरी है।।
अगर सद्फल की चाहत है,
तो इसके वास्ते तुझको,
बीज सत्कर्म का संसार में,
बीज सत्कर्म का संसार में,
बोना जरुरी है,
अरे सोना से भीं ज्यादा,
तुझे सोना जरुरी है।।
लोग कहते है की पाने के लिए,
खोना जरुरी है,
हरी कहता है की,
हरी कहता है की,
खोना नहीं बोना जरुरी है,
अरे सोना से भीं ज्यादा,
तुझे सोना जरुरी है।।
गंवाया नींद को उसके लिए,
जो ना जरुरी है,
अरे सोना से भी ज्यादा,
तुझे सोना जरुरी है।।
स्वर – धीरज कान्त जी।