सुख सागर में आय के,
अरे इन भवसागर में आयके,
मत जावो हंस प्यासा,
मत जावो हंस प्यासा ए हा ओ जी।।
अरे गगन मंडल में अमृत बरसे,
पीले स्वासम स्वासा,
अरे गगन मंडल में अमृत बरसे,
पीले स्वासम स्वासा,
अरे भई पीले स्वासम स्वासा,
धन्ना ने पिया सुदामा ने पिया,
धन्ना ने पिया सुदामा ने पिया,
अरे पिया रविदासा,
अरे पिया रविदासा,
मत जावो हंस प्यासा,
मत जावो हंस प्यासा ए हा ओ जी।।
अरे ध्रुवजी ने पिया प्रहलाद ने पिया,
मिट गई जम री त्रासा,
अरे ध्रुवजी ने पिया प्रहलाद ने पिया,
मिट गई जम री त्रासा,
गोपीचंद भरतरी ने पिया,
गोपीचंद भरतरी ने पिया,
अरे हुआ शब्द परकाशा,
अरे हुआ शब्द परकाशा,
मत जावो हंस प्यासा,
मत जावो हंस प्यासा ए हा ओ जी।।
अरे शबरी ने पिया कमालीन ने पिया,
मीराबाई पी गई आशा,
अरे शबरी ने पिया कमालीन ने पिया,
मीराबाई पी गई कासा,
कबीर सा ने प्रेम रस पिया,
कबीर सा ने प्रेम रस पिया,
अरे पुरण हो गई आसा,
अरे पुरण हो गई आसा,
मत जावो हंस प्यासा,
मत जावो हंस प्यासा ए हा ओ जी।।
सुख सागर में आय के,
अरे इन भवसागर में आयके,
मत जावो हंस प्यासा,
मत जावो हंस प्यासा ए हा ओ जी।।
गायक – संत कन्हैयालाल जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818