सुखा ने हरियो कर देनो,
म्हारा चारभुजा जी रो कई केनो।।
हैं रूप रुपाला नारायण,
बैकुंठ पति भव तारायण,
सोना चांदी रो सज गेहनो,
मारा चारभुजा रो कई केनों,
सुखा ने हरियों कर देनो,
म्हारा चारभुजा जी रो कई केनो।।
एक पल में दुखड़ा दूर करें,
सुर संतन हित अवतार धरे,
सृष्टि रो सब संकट हरणों,
मारा चारभुजा रो कई केनों,
सुखा ने हरियों कर देनो,
म्हारा चारभुजा जी रो कई केनो।।
रघुवंश बने बन रघुनायक,
प्रभु गौ ब्राह्मण रा हो सहायक,
निज चार गाट प्रगट वेनों,
मारा चारभुजा रो कई केनों,
सुखा ने हरियों कर देनो,
म्हारा चारभुजा जी रो कई केनो।।
जड़ चेतन चीत रमवा वालों,
छोगाला छेल भाला वालों,
उकार भजन करतो रेनो,
मारा चारभुजा रो कई केनों,
सुखा ने हरियों कर देनो,
म्हारा चारभुजा जी रो कई केनो।।
सुखा ने हरियो कर देनो,
म्हारा चारभुजा जी रो कई केनो।।
गायक – दिनेश पूरी जी।
प्रेषक – लोकेश सुथार
8387027233