सूखी मिले चाहे रोटी,
मुझे कोई गम नहीं,
रखना सुखी परिवार मेरा,
विनती है बस यही,
सूखी मिलें चाहे रोटी।।
तर्ज – लग जा गले की फिर।
सिर पे ना हो कर्जा कभी,
ना हाथ फैलाऊं कहीं,
दर दर की ठोकर खाऊं ना,
मुझे राह दिखा दो सही
घुट घुट के जीना बाबा,
मेरे बस में अब नहीं,
रखना सुखी परिवार मेरा,
विनती है बस यही,
सूखी मिलें चाहे रोटी।।
नफरत को दिल से निकाल के,
तू प्यारा सीखा देना,
रखा नहीं कुछ गुरुर में,
तू झुकना सिखा देना,
तेरे होते हुए ना डोलूंगा,
ये पूरा है तुझ पे यकीन,
रखना सुखी परिवार मेरा,
विनती है बस यही,
सूखी मिलें चाहे रोटी।।
सूखी मिले चाहे रोटी,
मुझे कोई गम नहीं,
रखना सुखी परिवार मेरा,
विनती है बस यही,
सूखी मिलें चाहे रोटी।।
Singer – R. Kumar