सुमरा गजानंद गणपति,
दोहा – प्रथम नमो गुरु आपणा,
और दूजा देव गणेश,
तीजा सुमरू तीन जणा,
तो ब्रम्हा विष्णु महेश।
सिंगा जग में जीवता,
सेवक सुमरे पास,
जन कारण तन धारियों,
ब्रम्ह ज्योति प्रकाश।
गुरुजी का सुमिरन कीजिए,
गुरुजी का धरिए ध्यान,
गुरुजी की सेवा कीजिए,
तो मिटे सकल अज्ञान।
सुमरा गजानंद गणपति,
सुमरा गजानँद गणपति,
जिनकी माता है रे पार्वती,
सुमरा गजानँद गणपति।।
रिद्धि सिद्धि के भरतार कहावे,
रिद्धि सिद्धि के भरतार कहावे,
अरे भाई मंगल है रे मूरती,
सुमरा गजानँद गणपति,
सुमरा गजानँद गणपति।।
मोदक लाडू पूजा तुम्हारी,
मोदक लाडू पूजा तुम्हारी,
अरे भाई चढ़ती है रे बिलपत्ती,
सुमरा गजानँद गणपति,
सुमरा गजानँद गणपति।।
कहे जन दल्लू सुनो भाई साधो,
कहे जन दल्लू सुनो भाई साधो,
हो म्हारी गुरु चरणन म गति,
सुमरा गजानँद गणपति,
सुमरा गजानँद गणपति।।
सुमरा गजानँद गणपति,
जिनकी माता है रे पार्वती,
सुमरा गजानँद गणपति।।
गायक – रमेश जी महाराज।
प्रेषक – प्रमोद पटेल।
9399299349
https://youtu.be/EJV2ZseOZa4