सुन ओ कृष्ण की माँ,
बहुत दिन टाला है,
मैं ना राधा ब्याह रचाऊं,
कन्हैया तेरा काला है।bd।
(भजन – कीर्ति माँ और यशोदा माँ का संवाद।)
देखे – राधिका गोरी से।
मेरी राधा चंद्र किरण सी,
रूप उजियारी है,
तेरा लाला तो,
जैसे रतिया काली है,
तेरा लाला तो,
जैसे रतिया काली है,
मैंने बड़े लाड़ से,
लाड़ली को पाला है,
मै ना राधा ब्याह रचाऊँ,
कन्हैया तेरा काला है।bd।
मेरी राधा चंपा,
कली का रंग सुनहरा है,
तेरा मोहन तो,
जैसे काला भवरा है,
तेरा मोहन तो,
जैसे काला भवरा है,
मैंने बड़े नाज से,
लाड़ली को संभाला है,
मै ना राधा ब्याह रचाऊँ,
कन्हैया तेरा काला है।bd।
रखले तू अपनी राधा,
कहीं छुपाकर के,
क्या तूने जन्म दिया है,
सोना खा कर के,
क्या तूने जन्म दिया है,
सोना खा कर के,
मेरा श्याम लला भी,
अंखियों का उजियाला है,
मै ना राधा ब्याह रचाऊँ,
कन्हैया तेरा काला है।bd।
उस काले की बात,
कहीं कुछ और है,
मैंने सुना तेरा लाला,
माखन चोर है,
मैंने सुना तेरा लाला,
माखन चोर है,
अब बोल जरा क्यों,
लगा जुबां पे ताला है,
मै ना राधा ब्याह रचाऊँ,
कन्हैया तेरा काला है।bd।
मेरे लाला को,
माखन मिश्री भाता है,
हाँ कभी कभी थोड़ा,
छुप छुप के खाता है,
हाँ कभी कभी थोड़ा,
छुप छुप के खाता है,
मेरा श्याम लला,
देख बड़ा दिलवाला है,
मै ना राधा ब्याह रचाऊँ,
कन्हैया तेरा काला है।bd।
मेरे लाला को,
कहाँ दुल्हन का घाटा है,
लड़की वालों ने,
मेरे श्याम को छांटा है,
लड़की वालों ने,
मेरे श्याम को छांटा है,
Bhajan Diary,
क्यों बातें करती,
लगाके मिर्च मसाला है,
मेरा लाला भी,
अंखियों का उजियाला है।bd।
सुन ओ कृष्ण की माँ,
बहुत दिन टाला है,
मैं ना राधा ब्याह रचाऊं,
कन्हैया तेरा काला है।bd।
ये भी देखे – कन्हैया तेरो कारो री।
स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी।