सुण रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाडी लाणी है,
घणा गरीबा ने सेठ बणाया,
अबके बारी म्हारी है।।
गोलासन नगरी घणी सोवणी,
घणी रुपाली लागे है,
गोलासन नगरी घणी सोवणी,
घणी रुपाली लागे है,
जिणमे विराज्या बालाजी,
आ मूरत प्यारी लागे है,
सुन रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
मंगल शनि रो मेलो भरीजे,
भीड़ लागे हद भारी है,
मंगल शनि रो मेलो भरीजे,
भीड़ लागे हद भारी है,
दूर दूर सूं आवे यात्री,
आवे नर और नारी है,
सुन रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
पैदल पैदल आवे यात्री,
लाल धजा लहरावे है,
पैदल पैदल आवे यात्री,
लाल धजा लहरावे है,
घृत खोपरा खूब चढ़ावे,
भोग सवामणी लावे है,
सुन रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
गढ़ गोलासन बैठा बालाजी,
भगता रा हितकारी है,
गढ़ गोलासन बैठा बालाजी,
भगता रा हितकारी है,
पल में सबरा दुखड़ा मेटे,
पूजे नर और नारी है,
सुन रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
‘बिश्नोई ओम’ महिमा गावे,
चरणां मांही राखो थे,
बिश्नोई ओम महिमा गावे,
चरणां मांही राखो थे,
मन री आस पूरी करीजो,
सिर पर हाथ राखो थे,
सुन रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाड़ी लानी है।।
सुण रे बालाजी गोलासन वाला,
काली गाडी लाणी है,
घणा गरीबा ने सेठ बणाया,
अबके बारी म्हारी है।।
गायक – ओमकृष्ण बिश्नोई सांचौर।
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