सुण सुण रे म्हारा श्याम जी घोडा,
कदे म्हारा श्याम जी ने घर ल्यासी,
कदे म्हारा श्याम जी ने घर ल्यासी।।
तर्ज – उड़ उड़ रे म्हारा काला।
घणा रे दिना सु म्हारो श्याम नहीं आयो,
श्याम बिना मैं तो घणो दुःख पायो,
थारे आया दुखड़ा मिट जासी,
कदे म्हारा श्याम जी ने घर ल्यासी।।
पल पल बीते म्हारे बरस बरोबर,
तू जाणे कद आवे म्हारे घर पर,
तरस रह्यो जियो भर जासी,
कदे म्हारा श्याम जी ने घर ल्यासी।।
डावा डोल हुई म्हारी नैया,
भूल गयो रे मने म्हारा खिवैया,
आजा रे आजा नाव तीर जासी,
कदे म्हारा श्याम जी ने घर ल्यासी।।
भूल गयो रे मैं तो सुध बुध सारी,
अब की पत तू ही राखेलो म्हारी,
दिन बीत्या रे बाता रह जासी,
कदे म्हारा श्याम जी ने घर ल्यासी।।
‘सोहनलाल’ थारा ही गुण गावे,
घर का धणी ने म्हारे घरा लियावे,
आनंद मंगल हो जासी,
जदे म्हारा श्याम जी ने घर ल्यासी।।
सुण सुण रे म्हारा श्याम जी घोडा,
कदे म्हारा श्याम जी ने घर ल्यासी,
कदे म्हारा श्याम जी ने घर ल्यासी।।
Singer – Pappu Ji Sharma Khatuwale