लिले घोड़े रा असवार,
माता मेणा दे रा लाल,
तु है कलियुग रो अवतार,
सुणले सुगणा री पुकार,
सुगणा री पुकार सुनले,
सुगणा री पुकार।।
डिंगा धोरा में परणाई,
दया सुगणा री नहीं आई,
लिखणो भुली बेमाता माई,
नाही जामण जायो भाई,
भुल्या पिहरिया रा लोग,
सुनले सुगणा री पुकार।।
सुगणा आंसुडा ढलकावे,
म्हारो जिवडो घुट घुट जावें,
सासु नणदल घणी सतावे,
वर्ष बारह बीत जावे,
नुगरो हैं म्हारो भरतार,
सुनले सुगणा री पुकार।।
सुगणा डागलिऐ चढ़ जोवे,
ऊभि कागलिया उड़ावें,
सुगणा रोय रोय दिन बितावे,
कुण धिरज आय बधावे,
काई सुगणा है अनाथ,
सुनले सुगणा री पुकार।।
हुक्म मेणादे चलायो,
रतनो पुगलगढ है आयो,
पड़िहार पुगल रो रिसायो,
रतना ने कैद में फसायो,
सुगणा पर टुटियो है पहाड़,
सुनले सुगणा री पुकार।।
रतने हेलो घणी ने करियो,
बाग सुखो हरियो करियो,
रामदेव पुगल पांव धरियो,
तालों कैद खाना रो खुलियो,
माफी बगसाओ मोटा पीर,
सुनले सुगणा री पुकार।।
रामदेव सुगणाने ले आवे,
नुगरा ने सुगरा ऐ बणावे,
दुखड़ों सुगणा रो मिटावे,
ओल्यू अशोक पंडित सुणावे,
सुगणा धरियो रुणिचे पांव,
सुनले सुगणा री पुकार।।
लिले घोड़े रा असवार,
माता मेणा दे रा लाल,
तु है कलियुग रो अवतार,
सुणले सुगणा री पुकार,
सुगणा री पुकार सुनले,
सुगणा री पुकार।।
गायिका – प्रमिला परमार आबुरोड।
लेखक – अशोक पंडित फींच।
9166382292