सुनलो कहानी,
ओ भक्तो मेरी जुबानी,
श्री बाबोसा भगवान की।।
तर्ज – गोरी है कलाइय्या।
महिमा सुनाऊं तुमको,
मैं चुरू धाम की,
जलती है ज्योत जहां,
बाबोसा के नाम की,
है धाम सुहाना,
जहाँ झुकता जमाना,
माँ छगनी सुत बलवान की
सुनलों कहानी,
ओ भक्तो मेरी जुबानी,
श्री बाबोसा भगवान की।।
कोठारी कुल में,
जन्म है पाये,
घेवरचंद जी के,
लाल कहाये,
मिली जन्म से भक्ति,
ओ पाई अदभुत शक्ति,
बचपन मे छोड़ी,
बाजी प्राण की,
सुनलों कहानी,
ओ भक्तो मेरी जुबानी,
श्री बाबोसा भगवान की।।
बाल अवस्था मे जो,
स्वर्ग सिधाये,
हनुमत जिनको अपनी,
गोद बिठाये,
कलयुग में पूजाये,
श्री बाबोसा देव कहाये,
ये जोड़ी है बाबोसा हनुमान की,
सुनलों कहानी,
ओ भक्तो मेरी जुबानी,
श्री बाबोसा भगवान की।।
मिग्सर पंचमी की,
महिमा है न्यारी,
लगता है चुरू में,
मेला बड़ा भारी,
ऐसा लगता है ‘दिलबर’,
उतारा हो स्वर्ग धरा पर,
धन्य धरा ये धर्म ध्यान की,
सुनलों कहानी,
ओ भक्तो मेरी जुबानी,
श्री बाबोसा भगवान की।।
सुनलो कहानी,
ओ भक्तो मेरी जुबानी,
श्री बाबोसा भगवान की।।
स्वर – डॉ सीमा दफ्तरी।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
9907023365