सुनो बाबोसा मेरे सरकार,
तू इतना ना करियो श्रंगार,
नजर लग जायेगी,
नजर लग जायेगी।।
तोरी सुरतिया पे मन मोरा अटका,
प्यारा लगे तोरा पिला पटका,
तेरी टेडी मेडी चाल,
तू इतना ना करियो श्रंगार,
नजर लग जायेगी,
नजर लग जायेगी।।
चूरू धाम पे मन मोरा अटका,
भक्ति में तेरी मन मेरा भटका,
तेरे घूंघर वाले बाल,
तू इतना ना करियो श्रंगार,
नजर लग जायेगी,
नजर लग जायेगी।।
कान में कुंडल हाथ में घोटा,
दो नयनन में जग को समेटा,
तेरे गले वैजंती माल,
तू इतना ना करियो श्रंगार,
नजर लग जायेगी,
नजर लग जायेगी।।
गले में मणियों की माला सोहे,
केशरिया बागा मन मेरा मोहे,
लिया हाथ में घोटा धार,
तू बैठा हो लीले असवार,
नजर तोहे लग जाये ना,
नजर तोहे लग जाये ना।।
जब जब बाबोसा की सूरत निहारु,
लागे है जैसे मैं नजरे उतारू,
सुनो ‘दिलबर’ की ये दरकार,
तू इतना ना करियो श्रंगार,
नजर लग जायेगी,
नजर लग जायेगी।।
सुनो बाबोसा मेरे सरकार,
तू इतना ना करियो श्रंगार,
नजर लग जायेगी,
नजर लग जायेगी।।
गायिका – ममता राउत।
(भोजपुरी गायिका) मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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