सुनो हे किशोरी सुनो श्यामा प्यारी,
मैं तुमसे कृपा की नज़र मांगती हूँ,
रहूँ तेरे चरणों की बनके मैं दासी,
रहूँ तेरे चरणों की बनके मैं दासी,
मैं तुमसे यही इक वर मांगती हूँ।।
तर्ज – तुम्ही मेरे मंदिर।
नही है तमन्ना मुझे माल ओ जर की,
रहूँ बन भिखारन सदा तेरे दर की,
अरज अनसुनी मेरी कर देना श्यामा,
ज़माने की खुशियाँ अगर मांगती हूँ,
सुनो हें किशोरी सुनो श्यामा प्यारी,
मैं तुमसे कृपा की नज़र मांगती हूँ।।
तेरी चरण धूलि लगाके मैं मस्तक,
करूँ तेरी सेवा रहे सांस जब तक,
मैं जबतक जियूं तेरी बनकर जियूं मैं,
इतनी सी तुमसे उमर मांगती हूँ,
सुनो हें किशोरी सुनो श्यामा प्यारी,
मैं तुमसे कृपा की नज़र मांगती हूँ।।
नही मांगती मैं जन्नत की खुशियाँ,
हो चरणों में तेरे मेरी सारी दुनिया,
जहाँ नाम तेरे की बहती हो गंगा,
मैं दास तुम्ही से वो घर मांगती हूँ,
सुनो हें किशोरी सुनो श्यामा प्यारी,
मैं तुमसे कृपा की नज़र मांगती हूँ।।
सुनो हे किशोरी सुनो श्यामा प्यारी,
मैं तुमसे कृपा की नज़र मांगती हूँ,
रहूँ तेरे चरणों की बनके मैं दासी,
रहूँ तेरे चरणों की बनके मैं दासी,
मैं तुमसे यही इक वर मांगती हूँ।।
स्वर – भैया कृष्ण दास जी।