सुनो रे सांवरिया,
मेरी रोको ना डगरिया,
मटकी व माखन गिर जाएगा,
सुनो रे साँवरिया।।
तर्ज – गोरी है कलाईया।
मथुरा को जाऊं मोहन,
देर होय भारी,
जाने दे ओ श्याम बाते,
मानो हमारी,
दूर नगरिया,
सच मानो रे सांवरिया,
शाम को अँधेरा हो जाएगा,
सुनो रे साँवरिया।।
दान दही का हमको,
दे जाओ प्यारी,
जाने ना दुंगो मटकी,
फोडूंगा सारी,
सुनो रे गुजरिया,
करी क्यों नीची नजरिया,
ऐसा समय ना फिर आएगा,
सुनो रे साँवरिया।।
दान कबहू ना हमने,
दीनो रे मुरारी,
नई बात मोहन तुमने,
कहाँ से निकारी,
रिस भरके सांवरिया,
खेंच लई तुरत चुनरिया,
क्रोध भई है कहाँ जाएगा,
सुनो रे साँवरिया।।
टेड़ी भयी है मटकी,
भीग गई साड़ी,
भिगी है चुनरी भिगी,
आँख कजरारी,
भिगी है नकुलिया,
भीग गई सारी कमलिया,
सुनो रे साँवरिया।।
सुनो रे सांवरिया,
मेरी रोको ना डगरिया,
मटकी व माखन गिर जाएगा,
सुनो रे साँवरिया।।
गायक – मुकेश कुमार जी।