सूती होती सत सेज में म्हारी हैली,
दोहा – कबीर सपने रेन के,
भयो कलेजे छेद,
जड़ सोवु जड़ दोय जना,
जद जागु जद एक।
सूती होती सत सेज में म्हारी हैली,
जागे तो जतन करे म्हारी हैली,
जद जागु जद एकली म्हारी हैली,
रोये रोये रुदन करे म्हारी हैली,
लागो भजना रे वालो कोड म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।।
छोड़ियो पीहर छोड़ियो सासरो म्हारी हैली,
छोड़ियो रंग भर देश म्हारी हैली,
पेरन पिताम्बर पेरिया म्हारी हैली,
सिर पर भगवोडा वेश म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।।
पीयाजी बिना रे म्हारो,
भान पड़े म्हारी हैली,
जल बिना मछिया मरे,
कोई तो वतावो म्हारे,
श्याम ने म्हारी हेली,
रंग भर रास रमे म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।।
धरा गगन बिच चालनो म्हारी हैली,
नही पवना रो प्रवेश,
पिछम वाट रे घाट पे म्हारी हैली,
एडो दीवानो देश म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।।
नही उगे नही आथ्मे म्हारी हैली,
करोड़ भान प्रवेश,
बन्ना नाथ उन देश रा म्हारी हैली,
बार बार आदेश म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।।
सूती होती सत सेज में म्हारी हैली,
जागे तो जतन करे म्हारी हैली,
जद जागु जद एकली म्हारी हैली,
रोये रोये रुदन करे म्हारी हैली,
लागो भजना रे वालो कोड म्हारी हैली,
चालो संतो रे देश।।
गायक – प्रकाश माली जी।
भजन प्रेषक – श्रवण सिंह राजपुरोहित।
सम्पर्क – +91 90965 58244