स्वार्थ रो है सारो संसार,
मतलब रो मिठो बोले मानखो,
भाई रे भजले तू भगवत रो नाम
दोय दिना रो जग में पावणो,
होजी स्वार्थ रो हैं सारो संसार।।
होजी मतलब री तो करे मनुहार,
मायाजाल में भटक्यो मानखो,
भाईरे माया काया पावणी दिन चार,
आखिर छोङे ने इणने जावणो,
होजी स्वार्थ रो हैं सारो संसार।।
होजी चिंता माहि पङियो संसार,
पईसा सू प्रेम राखे मोकलो,
भाईरे रटले नी राम जी रो नाम,
भरिए भवजल सू तारे सांवरो,
होजी स्वार्थ रो हैं सारो संसार।।
होजी मोबाइल में भूल्यो संस्कार,
केणो नी माने मायङ बापरो,
भाईरे नाहि थाने मेहमानों रो मान,
किंया तूं गुजारे जीवन आपरो,
होजी स्वार्थ रो हैं सारो संसार।।
होजी दिनों दिन अवसर चूकयो जाय,
थोङे दिना रो जग में रेवणो,
भाईरे ‘जोगाराम’ जीव समझाय,
माने जका ने म्हारो केवणो,
होजी स्वार्थ रो हैं सारो संसार।।
स्वार्थ रो है सारो संसार,
मतलब रो मिठो बोले मानखो,
भाई रे भजले तू भगवत रो नाम
दोय दिना रो जग में पावणो,
होजी स्वार्थ रो हैं सारो संसार।।
गायक – जोगाराम प्रजापत।
हाथीतला बाङमेर 9587984999