चूरु में बाबोसा के,
दीवाने मिलेंगे,
आपस में बड़े प्यार से,
अनजाने मिलेंगे,
हर ओर से आते है,
दर्शन को सब भगत,
मेरे चूरूवाले के,
दीवाने मिलेंगे,
तकदीर मुझे ले चल,
बाबोसा की नगरी में,
ये उम्र गुजर जाये,
बाबोसा की नगरी में।।
तीर्थो में ये तीर्थ,
दुनिया में बड़ा न्यारा,
स्वर्ग जैसा लगता है,
यहाँ का नजारा,
बैठे है छगनी नंदन,
लगे रूप बड़ा प्यारा,
कलयुग का ये देव है,
दुनिया में सबसे न्यारा,
है वो किस्मत वाले,
जाते चूरू नगरी,
सन्देशा उनका आता,
जिनको बुलाये बाबोसा,
तकदीर मुझे ले चल,
बाबोसा की नगरी मे,
ये उम्र गुजर जाये,
चुरू वाले की नगरी में।।
तेरी कृपा जो हो तो,
तकदीर मुझे लाये,
तेरे दिव्य धाम के,
दर्शन मुझे कराये,
तुझे देखकर बाबोसा,
फिर चैन मुझे आये,
चरणों मे तेरे सर रखके,
बाबा हम सो जाये,
जन्मोजन्म का “दिलबर”,
रिस्ता ये जुड़ जाये,
यही आरजू है श्रेया की,
तेरी भक्ति में खो जाये,
तकदीर मुझे ले चल,
बाबोसा की नगरी मे,
ये उम्र गुजर जाये,
चुरू वाले की नगरी में।।
चूरु में बाबोसा के,
दीवाने मिलेंगे,
आपस में बड़े प्यार से,
अनजाने मिलेंगे,
हर ओर से आते है,
दर्शन को सब भगत,
मेरे चूरूवाले के,
दीवाने मिलेंगे,
तकदीर मुझे ले चल,
बाबोसा की नगरी में,
ये उम्र गुजर जाये,
बाबोसा की नगरी में।।
गायिका – श्रेया रांका (जैन ) भीलवाड़ा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365
प्रेषक – श्री अजय जी गोलछा हैदराबाद