तल्या वाड़ी उपर वृष पीए,
माली छाप मंजारा,
फूलों री बंदी है वासना,
लोक तीन सुधारया,
असत कूड़ कम बोलिए,
संतो लेवो विचारा,
ठालो ठालो कुओ जल सही है,
नित भरे पणिहारी।।
तल्या कुंभारी उपर चाकलो,
सोही मैं भमते ने भालयो,
मृगले ने बांध्यो बारने,
सामो पारादे बंधानों,
असत कूड़ कम बोलिए,
संतो लेवो विचारा,
ठालो ठालो कुओ जल सही है,
नित भरे पणिहारी।।
नदियों रा नीर संतो खल हल्या,
पाणी पर्वत चढियो,
कीड़ी कहे मेरे मुख में,
गज हस्ती समाया,
असत कूड़ कम बोलिए,
संतो लेवो विचारा,
ठालो ठालो कुओ जल सही है,
नित भरे पणिहारी।।
कहे गोरख सुन बालका,
वाणी अमृत बोले,
ईए वाणी रो कोई सत गुण ले,
संत बड़ो ब्रह्मज्ञानी,
असत कूड़ कम बोलिए,
संतो लेवो विचारा,
ठालो ठालो कुओ जल सही है,
नित भरे पणिहारी।।
तल्या वाड़ी उपर वृष पीए,
माली छाप मंजारा,
फूलों री बंदी है वासना,
लोक तीन सुधारया,
असत कूड़ कम बोलिए,
संतो लेवो विचारा,
ठालो ठालो कुओ जल सही है,
नित भरे पणिहारी।।
Singer & Upload – Vikram Barmeri
8302031687
https://youtu.be/1wNZ7QSutzA