तन काया को पिंजरो,
बड़ो ज्ञान से घड़यो,
ज्ञान से घड़यो रे,
बड़ो ज्ञान से घड़यो,
तन काया को पिंजरों,
बड़ो ज्ञान से घड़यो।।
नही लगाई ईट एमे,
नही लगाई माटी,
नही तो कई का रे,
कुम्हार ने घड़यो,
तन काया को पिंजरों,
बड़ो ज्ञान से घड़यो।।
नही लगायो सोनो एमे,
नही लगाई चांदी,
नही तो कई का रे,
सुनार ने घड़यो,
तन काया को पिंजरों,
बड़ो ज्ञान से घड़यो।।
पाँच तत्व को यो,
महल बणायो,
स्वयं कारागिर,
सरकार ने घड़यो,
तन काया को पिंजरों,
बड़ो ज्ञान से घड़यो।।
तन काया को पिंजरो,
बड़ो ज्ञान से घड़यो,
ज्ञान से घड़यो रे,
बड़ो ज्ञान से घड़यो,
तन काया को पिंजरों,
बड़ो ज्ञान से घड़यो।।
प्रेषक – घनश्याम बागवान
7879338198