तन के तम्बूरे में दो,
सांसों के तार बोले।
दोहा – तन तम्बूरा तार मन,
अद्भुत है ये साज,
हरि के कर से बज रहा,
हरि की है आवाज।
तन के तम्बूरे में दो,
सांसों के तार बोले,
जय सिया राम राम,
जय जय राधे श्याम श्याम।।
देखे – सीताराम कहो राधेश्याम कहो।
अब तो इस मन के मंदिर में,
प्रभु का हुआ बसेरा,
प्रभु का हुआ बसेरा,
मगन हुआ मन मेरा छूटा,
जनम जनम का फेरा,
जनम जनम का फेरा,
मन की मुरलिया में,
सुर का सिंगार बोले,
जय सिया राम राम,
जय जय राधे श्याम श्याम।।
लगन लगी लीला धारी से,
जगी रे जगमग ज्योति,
जगी रे जगमग ज्योति,
राम नाम का हीरा पाया,
श्याम नाम का मोती,
श्याम नाम का मोती,
प्यासी दो अंखियो में,
आंसुओं की धार बोले,
जय सिया राम राम,
जय जय राधे श्याम श्याम।।
तन के तम्बुरे में दो,
सांसों के तार बोले,
जय सिया राम राम,
जय जय राधे श्याम श्याम।।
स्वर – अनूप जलोटा जी।