तन पे लगा मसाणी राख,
दोहा – रमता जोगी भूतां संग में,
जिनका धाम शमशान,
गंगा धारी राख रमावे,
शिव जी की पहचान।
तन पे लगा मसाणी राख,
छमाछम नाचे भोलानाथ।।
सिंह खाल तन सौहे सदाशिव,
नागां को सिणगार,
बिच्छू-गोयरा तन पे रमावे,
बड़ो गजब दातार,
कमरियां में घुघरा बांध,
छमाछम नाचे भोलानाथ।।
नान्दी गणपत पड़िया सोच में,
श्रींगऋषि गण साथ,
हाथ जोड़ कर चंदा बोले,
किणका रंग में नाथ,
पीकर चलमा गांजो भांग,
छमाछम नाचे भोलानाथ।।
गंगा देवी बोली जटामुं,
यो कई भगवन तोत,
पार्वती मां देख तमाशो,
पड़ी अचंभे सोच,
रचायो शक्ति वालो रास,
छमाछम नाचे भोलानाथ।।
श्रीयादे सत्संग के माहीं,
‘रतन’ शिव ने ध्यावें,
चरणां सिश नमाकर भोला,
महिमा थारी गावे,
रखज्यो भगतां को भी ख्याल,
छमाछम नाचे भोलानाथ।।
तन पें लगा मसाणी राख,
छमाछम नाचे भोलानाथ।।
गायक – पं.रतनलाल प्रजापति।
सहयोगी – श्री प्रजापति मण्डल चौगांवडी़।
मो. – 7627022556