तर जइहे राम गुन गाये से,
गाये से भैया गाये से,
तर जईहे राम गुन गाये से।।
नही तरे नर तीरथ करन से,
न ही गंगा नहाने से,
तर जाएगा राम गुण गाने से।।
न ही तरे नर वेद पढन से,
न ही कीर्तन सुनाने से,
तर जाएगा राम गुण गाने से।।
न ही तरे नर दान पुण्य से,
न ही भगवा रंगाने से,
तर जाएगा राम गुण गाने से।।
गौतम ऋषि की नारी अहिल्या,
तर गयी चरण छुआने से,
तर जाएगा राम गुण गाने से।।
जनम जनम के बंधन छुटे,
आतम ज्योति जगाने से,
तर जाएगा राम गुण गाने से।।
राम रतन धन सतगुरू देय है,
मन सतसंग समाने से,
तर जाएगा राम गुण गाने से।।
तर जइहे राम गुन गाये से,
गाये से भैया गाये से,
तर जईहे राम गुन गाये से।।
गायक – नन्दलाल नागर।
प्रेषक – घनश्याम बागवान सिद्दीकगंज।
7879338198