तेरा दरबार यूँही सजता रहे,
यूँही भक्तो का मेला लगता रहे,
मैं रहूँ ना रहूँ इस दुनिया में,
तेरा कीर्तन यूँही चलता रहे,
तेरा दरबार यूँही सजता रहें,
यूँही भक्तो का मेला लगता रहे।।
केसरिया टीका माथे पर,
और भी तेरे चमके,
तेज तेरे मुखड़े का बाबा,
और भी ज्यादा दमके,
ना ही तुझको किसी की नजर लगे,
तेरा श्रृंगार कान्हा और खिले,
मैं रहूँ ना रहूँ इस दुनिया में,
तेरा कीर्तन यूँही चलता रहे,
तेरा दरबार यूँही सजता रहें,
यूँही भक्तो का मेला लगता रहे।।
यूँही तेरे सिर पर लटके,
हर दम छतर हज़ार,
केसर अंतर से महके,
हर दम तेरा दरबार,
कान्हा जब तक ये चंदा तारे रहे,
तेरी सेवा में कान्हा सारे रहे,
मैं रहूँ ना रहूँ इस दुनिया में,
तेरा कीर्तन यूँही चलता रहे,
तेरा दरबार यूँही सजता रहें,
यूँही भक्तो का मेला लगता रहे।।
बड़ी है किस्मत मेरी कन्हैया,
तूने मुझे अपनाया,
‘पवन’ के सर पर सदा रहे,
तेरी रहमत का साया,
तेरी सेवा कन्हैया मिलती रहे,
यूँही भजनो की गंगा बहती रहे,
मैं रहूँ ना रहूँ इस दुनिया में,
तेरा कीर्तन यूँही चलता रहे,
तेरा दरबार यूँही सजता रहें,
यूँही भक्तो का मेला लगता रहे।।
तेरा दरबार यूँही सजता रहे,
यूँही भक्तो का मेला लगता रहे,
मैं रहूँ ना रहूँ इस दुनिया में,
तेरा कीर्तन यूँही चलता रहे,
तेरा दरबार यूँही सजता रहें,
यूँही भक्तो का मेला लगता रहे।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।