तेरा दीदार क्यो नही होता,
मुझपे उपकार क्यो नही होता,
तेरी रहमत की चार बूँदो का,
दास हक़दार क्यो नही होता।।
मैं किसी गैर के हाथो से,
समुंदर भी ना लू,
एक कतरा ही समुंदर अगर तू दे दे।
तेरी रहमत की चार बूँदो का,
दास हक़दार क्यो नही होता,
तेरा दीदार क्यो नही होता,
मुझपे उपकार क्यो नही होता।।
लाखो पापी तो तूमने तार दिए,
मेरा उद्धार क्यो नही होता,
तेरा दीदार क्यो नही होता,
मुझपे उपकार क्यो नही होता,
तेरी रहमत की चार बूँदो का,
दास हक़दार क्यो नही होता।।
हूँ तो गुनहगार फिर भी तेरा हूँ,
तुम को एतबार क्यो नही होता।
अवगुण भरा शरीर मेरा,
मैं कैसे तुम्हे मिल पाऊं,
चुनरिया हो मेरी चुनरिया,
चुनरिया मेरी दाग दगिली,
मैं कैसे दाग छुड़ाऊं।
आन पड़ा अब द्वार तिहारे,
हे श्याम सुंदर हे श्याम सुंदर,
आन पड़ा अब द्वार तिहारे,
मैं अब किस द्वारे जाऊ।
हूँ तो गुनहगार फिर भी तेरा हूँ,
तुम को एतबार क्यो नही होता,
तेरा दीदार क्यो नही होता,
मुझपे उपकार क्यो नही होता,
तेरी रहमत की चार बूँदो का,
दास हक़दार क्यो नही होता।।
तेरे चरणों में मेरा दम निकल जाए,
काग़ा मेरे या तन को,
तू चुन चुन खाइयो मास,
पर दो नैना मत खाइयो,
मोहे पिया मिलन की आस।
तेरे चरनो में मेरा दम निकले,
नंदलाल गोपाल दया करके,
रख चाकर अपने द्वार मुझे,
धन और दौलत की चाह नही,
बस दे दे तोड़ा प्यार मुझे।
तेरे प्यार में इतना खो जाऊं,
पागल समझे संसार मुझे,
जब दिल अपने में झाकू मैं,
हो जाए तेरा दीदार मुझे।
तेरे चरणों में मेरा दम निकले,
ऐसा एक बार क्यू नही होता,
ऐसा एक बार क्यू नही होता,
मुझपे उपकार क्यो नही होता,
तेरा दीदार क्यो नही होता।।
ना भूख लगती है ना प्यास लगती,
बिन गोविंद के ये ज़िंदगी उदास लगती है।
तेरा दीदार क्यो नही होता,
मुझपे उपकार क्यो नही होता,
तेरी रहमत की चार बूँदो का,
दास हक़दार क्यो नही होता।।
ह्रदयस्पर्शी