तेरा जब संकट काटूंगी,
मने पहले चाहिए भोग रे,
मैंने पहले चाहिए भोग रे,
तेरा जब काटूंगी रोग रे,
तेरा जब संकट काटूँगी,
मने पहले चाहिए भोग रे।।
मरघट से खाकर चालू हूं,
पहला खप्पर भरवालू हूं,
जिव्ह्या पर खून रचालयूं,
जब करती चालू भोग रे,
तेरा जब संकट काटूँगी,
मने पहले चाहिए भोग रे।।
जो जैसी भेंट चढ़ावे,
वह वैसा काम करवावे,
मने मदिरा जीव दिखावे,
ये स्याने भोले लोग रे,
तेरा जब संकट काटूँगी,
मने पहले चाहिए भोग रे।।
तू ईसा मस्ती में टुल्या,
मेरा पान और पेड़ा भुलया,
तू हांडे फूल्या फुल्या,
मेरा कीत से काला डोग रे,
तेरा जब संकट काटूँगी,
मने पहले चाहिए भोग रे।।
तेरी जली जोत पे आई,
और के चावे अन्यायि,
मेरी भेंट तलक ना लाई,
तेरे सारे मेटे शोक रे,
तेरा जब संकट काटूँगी,
मने पहले चाहिए भोग रे।।
तेरी कहे तो गर्दन तोडूं,
ना कहे रास्ता मोडू,
अशोक भगत ना छोडू,
के मने रिझाबे योग रे,
तेरा जब संकट काटूँगी,
मने पहले चाहिए भोग रे।।
तेरा जब संकट काटूंगी,
मने पहले चाहिए भोग रे,
मैंने पहले चाहिए भोग रे,
तेरा जब काटूंगी रोग रे,
तेरा जब संकट काटूँगी,
मने पहले चाहिए भोग रे।।
गायक – नरेंद्र कौशिक।
प्रेषक – दानवीर वत्स।
9541234510
https://youtu.be/18sRVTW9gQI