तेरे भक्तो से मैं प्रेम करूँ,
ऐसा परिवार बना दो ना,
जहाँ मतलब का कोई काम ना हो,
ऐसा संसार बसा दो ना,
तेरे भक्तो से मैं प्रेम करूं,
ऐसा परिवार बना दो ना।।
तर्ज – दिल लूटने वाले जादूगर।
दुनिया के रिश्तेदार प्रभु,
स्वारथ का नाता रखते है,
यहाँ किस से प्रेम बढ़ाना है,
इस बात को खूब समझते है,
जहाँ सच्चा प्यार बरसता हो,
ऐसा घर बार बसा दो ना,
तेरे भक्तो से मैं प्रेम करूं,
ऐसा परिवार बना दो ना।।
बस नकली शानो शौकत में,
कुछ लोग यहाँ भरमाये है,
दुनिया की झूठी रोशनी में,
अब नैन मेरे चुंधियाए है,
रहे चमक तेरी इन आँखों में,
ऐसी चमकार दिखा दो ना,
तेरे भक्तो से मैं प्रेम करूं,
ऐसा परिवार बना दो ना।।
जिनको सरगम का ज्ञान नहीं,
वो तेरे नगमें गाते है,
सुरताल का जिनको भान नहीं,
वो भी संगीत बजाते है,
जिसे सुनकर मनवा झूम उठे,
ऐसी झंकार बजा दो ना,
तेरे भक्तो से मैं प्रेम करूं,
ऐसा परिवार बना दो ना।।
मैं तेरा मेरा त्याग सकूँ,
मुझे राग द्वेष से मुक्ति दो ,
तेरा प्रेम पथिक बन जाऊँ मैं,
तेरे ‘हर्ष’ को इतनी शक्ति दो,
भटके को रस्ता दिखलाऊँ,
ऐसा फनकार बना दो ना,
तेरे भक्तो से मैं प्रेम करूं,
ऐसा परिवार बना दो ना।।
तेरे भक्तो से मैं प्रेम करूँ,
ऐसा परिवार बना दो ना,
जहाँ मतलब का कोई काम ना हो,
ऐसा संसार बसा दो ना,
तेरे भक्तो से मैं प्रेम करूं,
ऐसा परिवार बना दो ना।।
गायक – मनीष भट्ट।
प्रेषक – विजय कुमार गर्ग। (कोटा)