तेरे बिना कोई सुने ना,
किससे कहूँ बाबोसा मेरी वेदना,
राह नजर आये ना,
तेरे बिना कोई सुनें ना।।
तर्ज – तेरे बिना जिया जाये ना।
दर दर की ठोकरे खाती फिरू,
इस जमाने से गम ही पाऊँ,
स्वार्थ के रिस्तो को कैसे निभाउं,
झूठा ये जमाना,
तेरे बिना कोई सुनें ना।।
रहमत तेरी जो न होगी,
जिन्दगी मेरी बोझ सी होगी,
तुम न सुनो तो किसको सुनाये,
अपना फसाना,
तेरे बिना कोई सुनें ना।।
तेरे बिना कोई सुने ना,
किससे कहूँ बाबोसा मेरी वेदना,
राह नजर आये ना,
तेरे बिना कोई सुनें ना।।
गायिका – कविता राजवंश।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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