चाहे हार हो चाहे जीत हो,
तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो,
चाहे हार हो चाहे जीत हो,
तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो।।
जनम जनम से रटन लगाई,
अब तो सतगुरु बनो सहाई,
चरण कमल से दूर न करना,
बार बार मैं देऊ दुहाई,
चाहे हार हो चाहे जीत हो,
तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो।।
किस्मत में क्या खैर नहीं है,
क्या जीवन में सवेर नहीं है,
देर तो हो गयी दर पे तेरी,
है विश्वास अंधेर नहीं है,
चाहे हार हो चाहे जीत हो,
तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो।।
दीन दयाल हैं नाम तुम्हारा,
हम दुखियो का परम सहारा,
तुमने यदि गर फेर ली अंखिया,
तो यहाँ होगा कौन हमारा,
चाहे हार हो चाहे जीत हो,
तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो।।
दर तेरे के लाखो पुजारी,
मैं भी आया शरण तुम्हारी,
तन मन धन सब वार के दाता,
मांगू तुमसे भक्ति तुम्हारी,
चाहे हार हो चाहे जीत हो,
तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो।।
चाहे हार हो चाहे जीत हो,
तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो,
चाहे हार हो चाहे जीत हो,
तेरे चरणों में सतगुरु मेरी प्रीत हो।।
स्वर – जसबीर सिंह।
bahut achha lga
ram nam walo jhunjhuniyo mera satguru aake bja diyo
ye bhajan or bhejo sir meri mail pr