तेरे दर ना आ पाए,
कैसी लाचारी है,
इस जग में फैली है,
कैसी महामारी है।।
तर्ज – होंठों से छू लो।
क्यों देख रहा है तू,
बच्चो को बिलखते हुए,
उम्मीद भरी नजरे,
कहती है छलकते हुए,
लहरा दे मोरछड़ी,
जो संकट हारी है,
तेरे दर ना आ पाएं,
कैसी लाचारी है।।
कैसे तुझे भाता है,
तेरा सुना आँगन,
क्यों तुझको नहीं खलता,
बाबा ये अकेलापन,
तेरे होते हुए बाबा,
क्यों भगत दुखारी है,
तेरे दर ना आ पाएं,
कैसी लाचारी है।।
जो हमसे हुई गलती,
उसे माफ़ करो देवा,
खोलो अब दरवाजा,
करने दो हमे सेवा,
‘राशि’ कहे बाबा,
तेरी महिमा भारी है,
तेरे दर ना आ पाएं,
कैसी लाचारी है।।
तेरे दर ना आ पाए,
कैसी लाचारी है,
इस जग में फैली है,
कैसी महामारी है।।
Singer – Rashi Paatni