तेरे दरबार को नही छोड़ना,
चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़ना।।
तर्ज – तेरे संग प्यार मैं।
मांग में माँ की शबनम ने मोती जड़े,
और नज़ारो ने मेहँदी लगायी,
तेरे दर्शन को आया हूँ मैं भोली माँ,
ऐसी मन ये लगन लगाई,
लगन लगाई,
तुझसे जोड़कर ये नाता नही तोड़ना,
तेरे दरबार को नही छोडना,
चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़ना।।
माँ तू ममतामयी है तू करुणामयी,
ऐसी ममता तू हम पर लूटा दे,
तेरे आँचल की छाव में रख लो मुझे,
ऐसी करुणा तू हम पर लूटा दे,
हम पर लूटा दे,
तेरे दर पर चाहे पड़े दम तोड़ना,
तेरे दरबार को नही छोडना,
चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़ना।।
तेरे दरबार को नही छोड़ना,
चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़ना।।
प्रेषक – अभिनव शर्मा
9755957599