तेरे नाम से ही बाबोसा,
चलती है जिंदगी,
करती रहूं मैं हर जनम,
तेरी ही बंदगी।।
तर्ज – मिलती है जिंदगी में।
तेरी रहमतों से है मेरा,
जलवा जहाँन में,
तेरे साये मे ही मिल रही,
हरपल ये सादगी,
करती रहूं मैं हर जनम,
तेरी ही बंदगी।।
दिल में छवि है प्यारी,
होंठों पे नाम तेरा,
शामो शहर चढ़ रही,
तेरी दीवानगी,
करती रहूं मैं हर जनम,
तेरी ही बंदगी।।
मेरी ख्वाहिशो की कश्ती,
मंजिल है पा रही,
उतरे न रंग भक्ति का,
दिल से हो दिलग्गी,
करती रहूं मैं हर जनम,
तेरी ही बंदगी।।
लिखता रहूँ में उम्र भर,
‘दिलबर’ तेरे भजन,
तेरी पनाह में मेरी,
गुजरे ये जिंदगी,
करती रहूं मैं हर जनम,
तेरी ही बंदगी।।
तेरे नाम से ही बाबोसा,
चलती है जिंदगी,
करती रहूं मैं हर जनम,
तेरी ही बंदगी।।
गायिका – कृष्णा विजयवर्गीय।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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