तेरा रहमो करम,
बाबोसा कैसे भूलेंगे हम,
बाबोसा तुमपे किया है,
ये जीवन अर्पण,
बाबोसा मेरे दिल का,
अरमान यही है,
एक तुम हो मेरे पास,
दूजी चाह नही है,
तुमसा कोई दाता,
कोई दानी नही है,
बाबोसा तेरा जग में कोई ,
सानी नही है।।
तर्ज – तुमसा कोई प्यारा कोई।
हाथों की लकीरों में लिखा,
नाम तुम्हारा,
जन्मों जनम का बाबोसा,
ये साथ हमारा,
अब न कोई फिकर है,
न कोई गम है,
विशवास है बाबोसा,
मेरे संग जो तुम हो,
मेरे संग जो तुम हो,
छुटे ये सारी दुनिया,
परवाह नही है,
एक तुम हो मेरे पास,
दूजी चाह नही है,
बाबोसा मेरे दिल का,
अरमान यही है,
एक तुम हो मेरे पास,
दूजी चाह नही है।।
तांती भभूति जल का,
चमत्कार है ऐसा,
बिगड़े बनगे काम बोलो,
जय श्री बाबोसा,
श्री बाबोसा के रूप में है,
मंजू बाईसा,
देखा न कलयुग में,
दरबार है ऐसा,
दरबार है ऐसा,
इस दर के सिवा दूसरी,
पनाह नही है,
एक तुम हो मेरे पास,
दूजी चाह नही है,
बाबोसा मेरे दिल का,
अरमान यही है,
एक तुम हो मेरे पास,
दूजी चाह नही है।।
स्वार्थ भरी दुनिया,
हुए अपने पराये,
जितना उठु में उतना ही,
वो मुझको गिराये,
माँ छगनी का दुलारा,
मेरे पास में होगा,
मुझे दुनिया के दुख दर्द का,
अहसास न होगा,
अहसास न होगा,
‘दिलबर’ तेरी भक्ति के सिवा,
राह नही है,
‘कला’ को तेरे सिवा,
कोई चाह नही है,
तुमसा कोई दाता,
कोई दानी नही है,
बाबोसा तेरा जग में कोई,
सानी नही है।।
तेरा रहमो करम,
बाबोसा कैसे भूलेंगे हम,
बाबोसा तुमपे किया है,
ये जीवन अर्पण,
बाबोसा मेरे दिल का,
अरमान यही है,
एक तुम हो मेरे पास,
दूजी चाह नही है,
तुमसा कोई दाता,
कोई दानी नही है,
बाबोसा तेरा जग में कोई ,
सानी नही है।।
गायिका – कला शर्मा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन, म.प्र. 9907023365