फागुन में बाबा,
हम तेरे दर पे आएंगे,
रिंगस से चलके खाटू,
निशान चढ़ाएंगे,
तेरे संग फाग मनाएंगे,
तेरे रंग में रंग जाएंगे।।
तर्ज – लाल दुपट्टा उड़ गया।
कोई दंडवत करके आता,
कोई पैदल चलता है,
लगता मीठा दर्द सारा,
जब आनंद यहां आता है,
बाबुल के जैसे ये हमको,
कितना लाड लडाता है,
खीर चूरमा बड़े चाव से,
हम सबको ये खिलाता है,
जन्नत का नजारा,
खाटू में,,
खुशियों का खजाना,
खाटू में,,
मेले में हर साल हम,
दर पे आएंगे,
रिंगस से चलके खाटू,
निशान चढ़ाएंगे,
तेरे संग फाग मनायेंगे,
तेरे रंग में रंग जाएंगे।।
तू ही देता है हमको,
लगता जितना खर्चा है,
कैसे भुला दे ‘श्याम’ तुझे,
देता पल पल पर्चा है,
तेरी शरण जब से आया,
सब कुछ मैंने पाया है,
कोई चाह बची ना ‘सोनू’,
मन तुझमें ही रमाया है,
सुख का दरिया है,
खाटू में,,
हर दुःख की दवा है,
खाटू में,,
बैठ के तेरे चरणों में,
भजन सुनाएंगे,
रिंगस से चलके खाटू,
निशान चढ़ाएंगे,
तेरे संग फाग मनायेंगे,
तेरे रंग में रंग जाएंगे।।
फागुन में बाबा,
हम तेरे दर पे आएंगे,
रिंगस से चलके खाटू,
निशान चढ़ाएंगे,
तेरे संग फाग मनाएंगे,
तेरे रंग में रंग जाएंगे।।
Singer – Radha Chaudhary
6203748282
Writer – Smita Sharma