तेरी धोली धज्जा चढ़ाऊं हो,
दादा खेड़े महाराज।।
हर नगरी में तु आप विराजै,
तेरे नाम का डंका बाजै,
मन्नै तेरी,मन्नै तेरी,
महिमा गाई हो,
दादा खेड़े महाराज,
तेरी धोली ध्वजा चढ़ाऊं हो,
दादा खेड़े महाराज।।
सारे ज्येष्ठ जो तन्नै नुहाव,
धज्जा शिखर में तेरी लहराव,
मन्नै तेरी,मन्नै तेरी,
सुरती लाई हो,
दादा खेड़े महाराज,
तेरी धोली ध्वजा चढ़ाऊं हो,
दादा खेड़े महाराज।।
जिस घर में हो ब्याह सगाई,
पहलम अर्जी तेरी लाई,
मन्नै तेरी,मन्नै तेरी,
भेंट चढ़ाई हो,
दादा खेड़े महाराज,
तेरी धोली ध्वजा चढ़ाऊं हो,
दादा खेड़े महाराज।।
वंश बेल सब तुंहे चलाव,
जो जन जोत तेरी जो लगाव,
मन्नै तेरी,मन्नै तेरी,
जोत जगाई हो,
दादा खेड़े महाराज,
तेरी धोली ध्वजा चढ़ाऊं हो,
दादा खेड़े महाराज।।
जुए आले ने तुंहे ध्याया,
खड़ा भक्तजी जड़ में पाया,
मन्नै तेरी,मन्नै तेरी,
महिमा गाली हो,
दादा खेड़े महाराज,
तेरी धोली ध्वजा चढ़ाऊं हो,
दादा खेड़े महाराज।।
तेरी धोली धज्जा चढ़ाऊं हो,
दादा खेड़े महाराज।।
प्रेषक – राकेश कुमार।
खरक जाटान(रोहतक)
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