तेरी झोली भर देगा,
तू खाटू जा के देख ले,
तेरी झोली, तेरी झोली,
तेरी झोली,झोली,झोली,
तेरी झोंली भर देगा,
तू खाटू जा के देख ले।।
तर्ज – झुमका गिरा रे।
बाबा के दर जो कोई जावे,
खाली नही लोटावे,
दूर दूर से आवे यात्री,
मन की बात सुनावे,
सब के मन की पूरी करता,
पल नहीं देर लगावे,
तू बावलिया के सोचे भई,
क्यों नहीं खाटू जावे,
रे क्यों नहीं खाटू जावे
तेरी झोंली भर देगा,
तू खाटू जा के देख ले।।
खाटू में दरबार लगाया,
जगत सेठ कहलावे,
कोई थोड़ा कोई ज्यादा,
कुछ ना कुछ सब पावे,
इसके घर में कमी नहीं,
यो दोनों हाथ लुटावे,
तू बावलिया के सोचे भई,
क्यों नहीं खाटू जावे,
रे क्यों नहीं खाटू जावे
तेरी झोंली भर देगा,
तू खाटू जा के देख ले।।
दुनिया से जो हार के आवे,
यो छाती के लावे,
फिर ना कोई संकट आवे,
ऐसा झाड़ा लावे,
इस झाड़े की खातिर भक्तों,
सारी दुनिया आवे,
तू बावलिया के सोचे भई,
क्यों नहीं खाटू जावे,
रे क्यों नहीं खाटू जावे
तेरी झोंली भर देगा,
तू खाटू जा के देख ले।।
दुनिया के मैं भटकूँ था,
मैं फिरता मारा मारा,
दर पे आके मिल गया,
भक्तों मैंने एक सहारा,
सुध मेरी बाबा ने ले ली,
सारी पूरी कर दी,
कमी नहीं अब किसी चीज की,
‘शीलू’ झोली भर दी,
रे ‘शीलू’ झोली भर दी,
मैने सब कुछ मिल गया रे,
इस बाबा के दरबार में,
तेरी झोंली भर देगा,
तू खाटू जा के देख ले।।
तेरी झोली भर देगा,
तू खाटू जा के देख ले,
तेरी झोली, तेरी झोली,
तेरी झोली,झोली,झोली,
तेरी झोंली भर देगा,
तू खाटू जा के देख ले।।
लेखक / प्रेषक – सुशील गर्ग(शीलू)
9215385584