तेरी ज्योत जगाई री,
माँ वैष्णो दरबार में,
माँ वैष्णो दरबार में,
माँ वैष्णो दरबार में,
तेरी ज्योत जगाईं री,
माँ वैष्णो दरबार में।।
मनें घर की करी लिपाई,
फेर चौंकी तेरी सजाई,
देके गंगाजल का छीटा,
चरणा में सुरती लाई,
फेर करी कड़ाई री,
माँ वैष्णो दरबार में,
तेरी ज्योत जगाईं री,
माँ वैष्णो दरबार में।।
पहला तेरा भोग लगाके,
फेर कंजक मनें ज़िमाँई,
तिलक लगाके मैया,
और सिर पर चुनर उड़ाई,
मेरी अरदास लगाई री,
माँ वैष्णो दरबार में,
तेरी ज्योत जगाईं री,
माँ वैष्णो दरबार में।।
मैं बनी भगतनी तेरी,
तेरे नाम की माला फेरी,
तुम दर्श दिखाओ मैया,
ईब लाओ मतन्या देरी,
क्यूँ इतनी बाट दिखाई री,
माँ वैष्णो दरबार में,
तेरी ज्योत जगाईं री,
माँ वैष्णो दरबार में।।
बिट्टू प जगन कराया,
उने ऐसा भजन सुनाया,
तेरे दर्शन पाके मैया,
मेरी आनंद होंगी काया,
फेर मनें देइ बधाई री,
माँ वैष्णो दरबार में,
तेरी ज्योत जगाईं री,
माँ वैष्णो दरबार में।।
तेरी ज्योत जगाई री,
माँ वैष्णो दरबार में,
माँ वैष्णो दरबार में,
माँ वैष्णो दरबार में,
तेरी ज्योत जगाईं री,
माँ वैष्णो दरबार में।।
गायक / लेखक – बिट्टू कालखा।
9991446855