तेरी करती रहूं मैं चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ,
वरदान यही मैं चाहूँ,
वरदान यही मैं चाहूँ,
वरदान यही मैं चाहूँ,
तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ,
माँ शेरावाली वर देना,
माँ ज्योता वाली वर देना।।
एक जनम क्या कई जन्मों तक,
तेरी सेवा पाऊं,
सुन्दर सुन्दर इन हाथों से,
तेरे द्वार सजाऊँ,
मेरी लगती रहें दर हाजरी,
वरदान यही मैं चाहूँ,
तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ।।
अपनी आँखों के पलकों से,
तेरा अंगना बुहारूं,
तन मन के फूलों से,
अम्बे मंदिर तेरा सवारुं,
बस मैं ये चाहूँ तेरी चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ,
तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ।।
तेरी करती रहूं मैं चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ,
वरदान यही मैं चाहूँ,
वरदान यही मैं चाहूँ,
वरदान यही मैं चाहूँ,
तेरी करती रहूँ मैं चाकरी,
वरदान यही मैं चाहूँ,
माँ शेरावाली वर देना,
माँ ज्योता वाली वर देना।।
स्वर / संगीत – डॉ तापसी नागराज।