तेरी कृपा सबको,
भव से तारती,
शरण मिली राघव की,
गाऊं आरती।।
तर्ज – मन में बसाकर तेरी मूर्ति।
दया करो कृपा करो,
भक्ति दो भगवन,
टुटते विश्वास को,
शक्ति दो भगवन,
डोर ये मेरी तेरे हाथ है,
जिंदगी सदा ही तेरी,
शरण चाहती,
तेरी कृपा सबकों,
भव से तारती,
शरण मिली राघव की,
गाऊं आरती।।
रामचरित मानस वो,
ग्रंथ है भगवन,
सुना जिसने जीवन को,
कर लिया पावन,
सुन लेते आप,
सबके मन की बात,
आस मेरी भगवन,
तुम्हे पुकारती,
तेरी कृपा सबकों,
भव से तारती,
शरण मिली राघव की,
गाऊं आरती।।
मांगू नहीं कुछ भी मैं,
तुमसे भगवन,
तुम जो मेरे संग हो,
सफल है जनम,
सिर पे धरो आप,
करूणा भरा हाथ,
ये अखियां मेरी,
तुम्हें निहारती,
तेरी कृपा सबकों,
भव से तारती,
शरण मिली राघव की,
गाऊं आरती।।
महादेव राम जपे,
संत रटे नाम,
बजरंग भी भक्ति में,
झूमे सुबह शाम,
‘नागर’ के साथ,
भक्त कहे आज,
कृपा रामजी की,
दुखो को टालती,
तेरी कृपा सबकों,
भव से तारती,
शरण मिली राघव की,
गाऊं आरती।।
तेरी कृपा सबको,
भव से तारती,
शरण मिली राघव की,
गाऊं आरती।।
स्वरचित – पंडित मनोज नागर।
9893377018